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जीवन पर गीत

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

जो बीत गई

हरिवंशराय बच्चन

मैं जीवन में कुछ कर न सका

हरिवंशराय बच्चन

साथी हाथ बढ़ाना

साहिर लुधियानवी

उत्साह

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

आत्मसंलाप

रामेश्वर शुक्ल अंचल

छोड़ दो जीवन यों न मलो

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

हम नहीं है आजकल अपने

श्यामबिहारी श्रीवास्तव

घरी दो घरी नहीं

श्यामबिहारी श्रीवास्तव

फिर जला लोहबान

देवेंद्र कुमार बंगाली

बंद करो मधु की

गोपालदास नीरज

तुम जिनको खत कहते हो

चित्रांश वाघमारे

बस्तियों

किशन सरोज

तकली-सा जीवन

जय चक्रवर्ती

जो सृजन न हो

विनोद श्रीवास्तव

यह भी बीत जाएगा, बंधु!

राघवेंद्र शुक्ल

प्रश्न सरल हो जाएगा क्या?

चित्रांश वाघमारे

कैसे-कैसे दृश्य

राघवेंद्र शुक्ल

अबकी बार...

श्यामबिहारी श्रीवास्तव

स्वाद लगा

राघवेंद्र शुक्ल

जीवन-गीत

शंभुनाथ सिंह

सच-सच बताना

जय चक्रवर्ती

जीवन की आग

शंभुनाथ सिंह

सिक्का उछला रे!

राघवेंद्र शुक्ल

सहज सरल करना चाहे थे

चित्रांश वाघमारे

ओ युवाओं!

इति शिवहरे

मानव

नरेंद्र शर्मा

जीवनशक्ति

नरेंद्र शर्मा

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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