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आधुनिक युग के अत्यंत लोकप्रिय, प्रभावशाली और विवादास्पद विचारक।

आधुनिक युग के अत्यंत लोकप्रिय, प्रभावशाली और विवादास्पद विचारक।

ओशो के उद्धरण

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मनुष्य प्रभु को पाने का मार्ग है, और जो मंज़िल को छोड़ मार्ग से ही संतुष्ट हो जावें, उनके दुर्भाग्य को क्या कहें?

इच्छाएँ दरिद्र बनाती हैं और उनसे घिरा चित्त भिखारी हो जाता है। वह निरंतर माँगता ही रहता है।

पशु को हमने पीछे छोड़ा है, प्रभु को हमें आगे पाना है। हम पशु और प्रभु के बीच एक सेतु से ज़्यादा नहीं हैं।

जो जीवन को पाना चाहता है, उसे अपनी निद्रा और मूर्च्छा छोड़नी होगी।

समृद्ध तो केवल वे ही हैं जिनकी कोई माँग शेष नहीं रह जाती है।

वे ही संपदाशाली है, जिनको कोई आवश्यकता नहीं।

स्वयं के भीतर जो है, उसे जानने से ही जीवन मिलता है। जो उसे नहीं जानता वह प्रतिक्षण मृत्यु से और मृत्यु भय से ही घिरा रहता है।

जो स्वयं की मृत्यु को जान लेता है, उसकी दृष्टि संसार से हटकर सत्य पर केंद्रित हो जाती है।

मनुष्य मृण्मय और चिन्मय का जोड़ है।

जीवन का वास्तविक परिचय स्वयं में प्रतिष्ठित होकर ही मिलता है, क्योंकि उस बिंदु के बाहर जो परिधि है, वह मृत्यु से निर्मित है।

जीवन में जो दिखाई पड़ता है, उसकी ही नहीं, उसकी भी सत्ता है, जो कि दिखाई नहीं पड़ता है।

क्षुद्रतम में भी विराट के संदेश छुपे है। जो उन्हें उघाड़ना जानता है वह ज्ञान को उपलब्ध होता है। जीवन में सजग होकर चलने से प्रत्येक अनुभव प्रज्ञा बन जाता है और जो मूच्छित बने रहते है, वे द्वार आए आलोक को भी वापिस लौटा देते हैं।

साधु के पास उसे कुछ देने नहीं, वरन् उससे कुछ लेने जाना चाहिए। जिनके पास भीतर कुछ है, वे ही बाहर का सब कुछ छोड़ने में समर्थ होते है।

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