
जहाँ कोई क़ानून नहीं होता, वहाँ अंतःकरण होता है।
-
संबंधित विषय : आत्म-चिंतनऔर 2 अन्य

क्या निजी भाषा के नियम, नियमों की प्रतिच्छाया हैं?—जिस तुला पर प्रतिच्छाया को तोला जाता है, वह तुला की प्रतिच्छाया नहीं होती।

जब देश में कोई विशेष नियम प्रतिष्ठित होता है, तब वह एक ही दिन में नहीं, बल्कि बहुत धीरे-धीरे संपन्न हुआ करता है। उस समय वे लोग पिता नहीं होते, भाई नहीं होते, पति नहीं होते-होते हैं केवल पुरुष। जिन लोगों के संबंध में वे नियम बनाए जाते है, वे भी आत्मीया नहीं होती, बल्कि होती हैं केवल नारियाँ।

बुद्धि से धन प्राप्त होता है और मूर्खता दरिद्रता का कारण है—ऐसा कोई नियम नहीं है। संसार चक्र के वृत्तांत को केवल विद्वान पुरुष ही जानते हैं, दूसरे लोग नहीं।

लड़कियों को जानने की ज़रूरत है कि वे नियम तोड़ सकती हैं।

मनुष्य जब एक नियम तोड़ता है तो दूसरे अपने आप टूट जाते हैं।

जितने बँधे-बँधाए नियम और आचार हैं उनमें धर्म के अटता नहीं।

या एक अन्य क़ानून जो प्रदर्शित नहीं किया गया है और जिसे हमने अभी तक सोचा भी नहीं है, जो यह कहता है कि आप एक ही स्थान में दो बार अस्तित्व में नहीं हो सकते?

यही स्वर्णिम नियम है कि स्वर्णिम नियम होते ही नहीं हैं।

नियम में स्थिर रहकर मर जाना अच्छा है, न कि नियम से फिसल कर जीवन धारण करना।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere