Font by Mehr Nastaliq Web

विश्वास पर कविताएँ

विश्वास या भरोसे में

आश्वस्ति, आसरे और आशा का भाव निहित होता है। ये मानवीय-जीवन के संघर्षों से संबद्ध मूल भाव है और इसलिए सब कुछ की पूँजी भी है। इस चयन में इसी भरोसे के बचने-टूटने के वितान रचती कविताओं का संकलन किया गया है।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

विश्वास

बद्री नारायण

शराब के नशे में

अच्युतानंद मिश्र

लगभग सुखमय!

सुशोभित

भरोसा

सारुल बागला

जुमला

रचित

तटस्थ नहीं

कुँवर नारायण

नमक पर यक़ीन ठीक नहीं

नवीन रांगियाल

कवियों के भरोसे

कृष्ण कल्पित

इतना सहज नहीं है विश्व

पंकज चतुर्वेदी

शिल्पी

बेबी शॉ

कवि

फैदोर त्यूतशेव

ख़ून के धब्‍बे

नवीन रांगियाल

न होगा कुछ तब

ऋतु कुमार ऋतु

एक भरम अच्छा जिया

प्रदीप अवस्थी

पिता की क़मीज़

विनय सौरभ

अर्ज़ी

उदय प्रकाश

यक़ीन

अमिताभ

जग रूठे तो रूठे

कृष्ण मुरारी पहारिया

देवता

अशोक कुमार

जिस पर विश्वास किया था

नोंगमाइथेम शरतचंद्र

अजनबी

विनोद दास

झूठ बोलती लड़कियाँ

ज्योति चावला

प्रेम में

गौरव गुप्ता

भरोसा

अदिति शर्मा

भरोसा

बाबुषा कोहली

आहत विश्वास

जावेद आलम ख़ान

एक शाम

अशोक कुमार पांडेय

विदा

अहर्निश सागर

रूमाल

कमल जीत चौधरी

दूसरी स्त्री

कंचन जायसवाल

माँ का अंतर्द्वंद्व

महेश चंद्र पुनेठा

प्रेम यक़ीनन

कृतिका किरण

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए