शरद पर कविताएँ

‘शरद’ छह ऋतुओं में से

एक है। यह शीतारंभ का सूचक है, जब पावस की उमस के बाद मौसम पुनः नम्र होने लगता है। शरद की चाँदनी रातें बेहद मोहक होती हैं। इस चयन में शरद के अवलंब से व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

एक जाड़े की कथा

मनप्रसाद सुब्बा

शरद के साथ

अखिलेश सिंह

आते हैं

पंकज चतुर्वेदी

आश्विन की चाँदनी रात

मनोरमा बिश्वाल महापात्र

शरद-समाचार

मनप्रसाद सुब्बा

काम-प्रेम

वीरेन डंगवाल

शरद की रातें

आलोकधन्वा

शरद सगाई

अखिलेश सिंह

मरीचिका है यह शहर

ज्याेति शोभा

शरद का गीत

एकांत श्रीवास्तव

ये शरद की रातें हैं

शिरीष कुमार मौर्य

शताब्दी का शेष शरद

मनप्रसाद सुब्बा

अमृतपान

सुधांशु फ़िरदौस

शरद की सुबह

विवेक चतुर्वेदी

शरद के भेष में कोई एक

मनप्रसाद सुब्बा

शरद्-वर्णन

कविशेखर राजशेखर

शारदीया

रामविलास शर्मा

शरत

धुन खुंटिया

शरद पूर्णिमा की रात

कुशाग्र अद्वैत

अयाचित झोंका

विजय देव नारायण साही

स्पृहणीय चंद्रमा

मदन वात्स्यायन