शरद पर कड़वक

‘शरद’ छह ऋतुओं में से

एक है। यह शीतारंभ का सूचक है, जब पावस की उमस के बाद मौसम पुनः नम्र होने लगता है। शरद की चाँदनी रातें बेहद मोहक होती हैं। इस चयन में शरद के अवलंब से व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

षड्ऋतु वर्णन (शरद)

मलिक मोहम्मद जायसी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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