वियोग पर उद्धरण

वियोग संयोग के अभाव

या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।

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जुदाई का हर निर्णय संपूर्ण और अंतिम होना चाहिए; पीछे छोड़े हुए सब स्मृति-चिह्नों को मिटा देना चाहिए, और पुलों को नष्ट कर देना चाहिए, किसी भी तरह की वापसी को असंभव बनाने के लिए।

निर्मल वर्मा
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संसार में उत्पन्न हुए प्राणियों के आपस में होनेवाले मिलनों का अंत निश्चय ही वियोग में होता है जैसे जल में बुलबुले प्रकट होते हैं और मिट जाते हैं।

वेदव्यास

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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