
किसी से प्यार करना मज़बूत एहसास ही नहीं है—यह निर्णय है, यह वादा है।


स्त्रियों के बारे में सभी झगड़ों के पीछे असली कारण पुरुष का ख़ुद के प्रति वचनबद्ध न हो पाना है।

मनुष्य को चाहिए कि वह ईर्ष्यारहित, स्त्रियों का रक्षक, संपत्ति का न्यायपूर्वक विभाग करने वाला, प्रियवादी, स्वच्छ तथा स्त्रियों के निकट मीठे वचन बोलने वाला हो, परंतु उनके वश में कभी न हो।

सुकवि के वचन अर्थादि का विचार किए बिना ही आनंदमग्न कर देते हैं, पुण्यमयी नदियाँ स्नान के बिना ही दर्शनमात्र से ही पवित्र कर देती हैं।

जो ईश्वर के वाक्यों पर विश्वास करता है उसके लिए भगवान स्वयं पथ-प्रदर्शक बन कर आता है।

वचन की जो वक्रता भावप्रेरित होती है, वही काव्य होती है।

कर्म को वचन के अनुरूप और वचन को कर्म के अनुरूप बनाओ।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere