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लालच पर उद्धरण

लालच किसी पदार्थ, विशेषतः

धन आदि प्राप्त करने की तीव्र इच्छा है जिसमें एक लोलुपता की भावना अंतर्निहित होती है। इस चयन में लालच विषय पर अभिव्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

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लोग, लोभ, काम, क्रोध, अज्ञान, हर्ष अथवा बालोचित चपलता के कारण धर्म के विरुद्ध कार्य करते तथा श्रेष्ठ पुरुषों का अपमान कर बैठते हैं।

वेदव्यास
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स्वर्ग की तृष्णा मनुष्य के मनुष्य होने की ललक है।

मिलान कुंदेरा
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चोरी के माल के साथ पकड़ा हुआ चोर अब कह ही क्या सकता है?

कालिदास
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कर्म-भावना-प्रधान उत्साह ही सच्चा उत्साह है। फल-भावना-प्रधान उत्साह तो लोभ ही का एक प्रच्छन्न रूप है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere