पिता के पत्र पुत्री के नाम (राजा, मंदिर और पुजारी)
हमने पिछले ख़त में लिखा था कि आदमियों के पाँच दर्जे बन गए। सबसे बड़ी जमाअत मज़दूर और किसानों की थी। किसान ज़मीन जोतते थे और खाने की चीज़ें पैदा करते थे। अगर किसान या और लोग ज़मीन न जोतते और खेती न होती तो या तो अनाज पैदा ही न होता, या होता तो बहुत कम।
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (पुरानी दुनिया के बड़े-बड़े शहर)
मैं लिख चुका हूँ कि आदमियों ने पहले-पहल बड़ी-बड़ी नदियों के पास और उपजाऊ घाटियों में बस्तियाँ बनाई जहाँ उन्हें खाने की चीज़ें और पानी इफ़रात से मिल सकता था। उनके बड़े-बड़े शहर नदियों के किनारे पर थे। तुमने इनमें से बाज मशहूर पुराने शहरों का नाम सुना
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया)
अपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया ता कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज़, जो हम अपने चारों तरफ़ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (सरग़ना राजा हो गया)
बूढ़े सरग़ना ने हमारा बहुत सा वक़्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फ़ुर्सत पा जाएँगे या यों कहो उसका नाम कुछ और हो जाएगा। मैंने तुम्हें यह बतलाने का वादा किया था कि राजा कैसे हुए और वह कौन थे? और राजाओं का हाल समझने के लिए पुराने ज़माने के सरग़नों का ज़िक्र
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आदमियों के अलग-अलग दर्जे)
लड़कों, लड़कियों और सयानों को भी इतिहास अक्सर एक अजीब ढंग से पढ़ाया जाता है। उन्हें राजाओं और दूसरे आदमियों के नाम और लड़ाइयों की तारीख़ें याद करनी पड़ती है। लेकिन दरअसल इतिहास लड़ाइयों का, या थोड़े से राजाओं या सेनापतियों का नाम नहीं है। इतिहास का काम यह
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आर्यो का हिंदुस्तान में आना)
अब तक हमने बहुत ही पुराने ज़माने का हाल लिखा है। अब हम यह देखना चाहते हैं कि आदमी ने कैसे तरक़्क़ी की और क्या-क्या काम किए। उस पुराने ज़माने को इतिहास के पहले का ज़माना कहते हैं। क्योंकि उस ज़माने का हमारे पास कोई सच्चा इतिहास नहीं है। हमें बहुत कुछ
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (मिस्र और क्रीट)
पुराने ज़माने के शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े मकानों और इमारतों से मालूम होता है। कुछ हाल उन पत्थर की तख़्तियों की लिखावट से भी मालूम होता है जो वे छोड़ गए हैं। इसके अलावा कुछ बहुत पुरानी किताबें भी हैं
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आदमी कब पैदा हुआ)
मैंने तुम्हें पिछले ख़त में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दर्जे के जानवर पैदा हुए और धीरे-धीरे तरक़्क़ी करते हुए लाखों बरस में उस सूरत में आए जो हम आज देखते हैं। हमें एक बड़ी दिलचस्प और ज़रूरी बात यह भी मालूम हुई कि जानदार हमेशा अपने को आसपास की
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (ज़मीन कैसे बनी)
तुम जानती हो कि ज़मीन सूरज के चारों तरफ़ घूमती है और चाँद ज़मीन के चारों तरफ़ घूमता है। शायद तुम्हें यह भी याद है कि ऐसे और भी कई गोले हैं जो ज़मीन की तरह सूरज का चक्कर लगाते हैं। ये सब, हमारी ज़मीन को मिलाकर, सूरज के ग्रह कहलाते हैं। चाँद ज़मीन का उपग्रह
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जानवर कब पैदा हुए)
हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होने वाले पौधे दुनिया की जानदार चीज़ों में थे। वे सिर्फ़ पानी में ही रह सकते थे और अगर किसी वजह से बाहर निकल आते और उन्हें पानी न मिलता तो ज़रूर मर जाते होंगे। जैसे आज भी मछलियाँ सूखे में
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा)
मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुज़ुर्गों का हाल तुम्हें रूखा न मालूम होता होगा। मैंने अपने पिछले ख़त में तुम्हें बतलाया था कि उस ज़माने में हर-एक चीज़ सारी जाति की होती थी। किसी की अलग नहीं। सरग़ना के पास भी अपनी कोई ख़ास चीज़ न होती थी। जाति के
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आदमियों की क़ौमें और ज़बाने)
हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहिल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुरू में वह कहाँ आबाद हुए। शायद आदमी एक ही वक़्त में, कुछ आगे पीछे दुनिया के कई हिस्सों में पैदा हुए। हाँ, इसमें ज़्यादा संदेह नहीं है कि ज्यों-ज्यों बर्फ़
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (पीछे की तरफ़ एक नज़र)
तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! ज़रा दम लेना चाहती होगी। ख़ैर, कुछ अरसे तक मैं तुम्हें नई बातें न लिखूँगा। हमने थोड़े से ख़तों में हज़ारों लाखों बरसों की दौड़ लगा डाली है। मैं चाहता हूँ कि जो कुछ हम देख आए हैं उस पर तुम ज़रा ग़ौर करो। हम उस ज़माने
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (ज़बानों का आपस में रिश्ता)
हम बतला चुके हैं कि आर्य बहुत से मुल्कों में फैल गए और जो कुछ भी उनकी ज़बान थी उसे अपने साथ लेते गए। लेकिन तरह-तरह की हालातों ने आर्यों की बड़ी-बड़ी जातियों में बहुत फ़र्क़ पैदा कर दिया। हर एक जाति अपने ही ढंग पर बदलती गई और उसकी आदतें और रस्सें भी बदलती
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (भाषा, लिखावट और गिनती)
हम तरह-तरह की भाषाओं का पहले ही ज़िक्र कर चुके हैं और दिखा चुके हैं कि उनका आपस में क्या नाता है। आज हम यह विचार करेंगे कि लोगों ने बोलना क्योंकर सीखा। हमें मालूम है कि जानवरों की भी कुछ बोलियाँ होती हैं। लोग कहते हैं कि बंदरों में थोड़ी सी मामूली चीज़ों
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (चीन और हिंदुस्तान)
हम लिख चुके हैं कि शुरू में मेसोपोटैमिया, मिस्र और भूमध्य सागर के छोटे से टापू क्रीट में सभ्यता शुरू हुई और फैली। उसी ज़माने में चीन और हिंदुस्तान में भी ऊँचे दर्जे की सभ्यता शुरू हुई और अपने ढंग पर फैली। दूसरी जगहों की तरह चीन में भी लोग बड़ी नदियों
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम ('फ़ॉसिल' और पुराने खंडहर)
मैंने अरसे से तुम्हें कोई ख़त नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने ज़माने पर एक नज़र डाली थी जिसका हम अपने ख़तों में चर्चा कर रहे हैं। मैंने तुम्हें पुरानी मछलियों की हड्डियों के पोस्टकार्ड भेजे थे जिससे तुम्हें ख़याल हो जाए कि ये 'फ़ॉसिल' कैसे
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना)
मुझे भय है कि मेरे ख़त कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब ज़िंदगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज़माने में लोगों की ज़िंदगी बहुत सादी थी और हम सब अब उस ज़माने पर आ गए हैं जब ज़िंदगी का पेचीदा होना शुरू हुआ। अगर हम पुरानी बातों को ज़रा सावधानी के साथ जाँचें
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ)
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर बसर करता था, काम बँटे हुए न थे। हर-एक आदमी शिकार करता था और मुश्किल से खाने भर को पाता था। पहले मर्दों और औरतों के बीच में काम बँटना शुरू
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (सभ्यता क्या है?)
मैं आज तुम्हें पुराने ज़माने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है। कोष में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना। और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (तरह–तरह की क़ौमें क्योंकर बनीं)
अपने पिछले ख़त में मैंने नए पत्थर के युग के आदमियों का ज़िक्र किया था जो ख़ासकर झीलों के बीच में मकानों में रहते थे। उन लोगों ने बहुत सी बातों में बड़ी तरक़्क़ी कर ली थी। उन्होंने खेती करने का तरीक़ा निकाला। वे खाना पकाना जानते थे और यह भी जानते थे
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (समुद्री सफ़र और व्यापार)
फ़िनीशियन भी पुराने ज़माने की एक सभ्य जाति थी। उसकी नस्ल भी वही थी जो यहूदियों और अरबों की है। वे ख़ासकर एशियामाइनर के पश्चिमी किनारे पर रहते थे, जो आजकल का तुर्की है। उनके ख़ास-ख़ास शहर एकर, टायर और सिडोन भूमध्य समुद्र के किनारे पर थे। वे व्यापार के
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (शुरू का रहन-सहन)
सरग़नों और राजों की चर्चा हम काफ़ी कर चुके। अब हम उस ज़माने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंगे। हमें उस पुराने ज़माने के आदमियों का बहुत ज़्यादा हाल तो मालूम नहीं, फिर भी पुराने पत्थर के युग और नए पत्थर के युग के आदमियों से कुछ ज़्यादा ही मालूम
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जानदार चीज़ें कैसे पैदा हुई)
पिछले ख़त में मैं तुम्हें बतला चुका हूँ कि बहुत दिनों तक ज़मीन इतनी गर्म थी कि कोई जानदार चीज़ उस पर रह ही न सकती थी। तुम पूछोगी कि ज़मीन पर जानदार चीज़ों का आना कब शुरू हुआ और पहले कौन-कौन सी चीज़ें आईं। यह बड़े मज़े का सवाल है, पर इसका जवाब देना भी
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (शुरू के आदमी)
मैंने अपने पिछले ख़त में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ़ अक़्ल का फ़र्क़ है। अक़्ल ने आदमी को उन बड़े-बड़े जानवरों से ज़्यादा चालाक और मज़बूत बना दिया जो मामूली तौर पर उसे नष्ट कर डालते। ज्यों-ज्यों आदमी की अक़्ल बढ़ती गई वह ज़्यादा बलवान होता गया। शुरू
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा)
पिछले ख़त में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने ज़माने में आदमी हर-एक चीज़ से डरता था और ख़याल करता था कि उसपर मुसीबतें लाने वाले देवता हैं जो क्रोधी हैं और हसद करते हैं। उसे ये फ़र्ज़ी देवता—जंगल, पहाड़, नदी, बादल—सभी जगह नज़र आते थे। देवता को वह दयालु और नेक
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (पत्थर हो जाने वाली मछलियों की तस्वीरें)
आज मैं तुम्हें कुछ तस्वीरों के पोस्टकार्ड भेज रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि तुम इन्हें मेरे लंबे और रूखे सूखे ख़तों से ज़्यादा पसंद करोगी। ये तस्वीरें उन पुरानी मछलियों की हड्डियों की हैं जो लंदन के साउथ केनसिंग्टन के अजायबघर में रखी हुई हैं। तुमने इन हड्डियों
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे)
आर्यों को हिंदुस्तान आए बहुत ज़माना हो गया। सब के सब तो एक साथ आए नहीं होंगे, उनके फ़ौजों पर फ़ौजें, जाति पर जाति और कुटुंब पर कुटुंब सैकड़ों बरस तक आते रहे होंगे। सोचो कि वे किस तरह लंबे क़ाफिलों में सफ़र करते हुए, गृहस्थी की सब चीज़ें गाड़ियों और जानवरों
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (रामायण और महाभारत)
वेदों के ज़माने के बाद काव्यों का ज़माना आया। इसका यह नाम इसलिए पड़ा कि इसी ज़माने में दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत, लिखे गए, जिनका हाल तुमने पढ़ा है। महाकाव्य उस पद्य की बड़ी पुस्तक को कहते हैं, जिसमें वीरों की कथा बयान की गई हो। काव्यों के ज़माने
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जातियों का बनना)
मैंने अपने पिछले ख़तों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिलता था। धीरे-धीरे हज़ारों बरसों में उसने तरक़्क़ी की और पहले से ज़्यादा होशियार हो गया। पहले वह अकेले ही जानवरों का शिकार करता होगा, जैसे जंगली जानवर आज
जवाहरलाल नेहरू
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere