पिता के पत्र पुत्री के नाम (आदमी कब पैदा हुआ)
मैंने तुम्हें पिछले ख़त में बतलाया था कि पहले दुनिया में बहुत नीचे दर्जे के जानवर पैदा हुए और धीरे-धीरे तरक़्क़ी करते हुए लाखों बरस में उस सूरत में आए जो हम आज देखते हैं। हमें एक बड़ी दिलचस्प और ज़रूरी बात यह भी मालूम हुई कि जानदार हमेशा अपने को आसपास की
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (ज़मीन कैसे बनी)
तुम जानती हो कि ज़मीन सूरज के चारों तरफ़ घूमती है और चाँद ज़मीन के चारों तरफ़ घूमता है। शायद तुम्हें यह भी याद है कि ऐसे और भी कई गोले हैं जो ज़मीन की तरह सूरज का चक्कर लगाते हैं। ये सब, हमारी ज़मीन को मिलाकर, सूरज के ग्रह कहलाते हैं। चाँद ज़मीन का उपग्रह
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जानवर कब पैदा हुए)
हम बतला चुके हैं कि शुरू में छोटे-छोटे समुद्री जानवर और पानी में होने वाले पौधे दुनिया की जानदार चीज़ों में थे। वे सिर्फ़ पानी में ही रह सकते थे और अगर किसी वजह से बाहर निकल आते और उन्हें पानी न मिलता तो ज़रूर मर जाते होंगे। जैसे आज भी मछलियाँ सूखे में
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया)
अपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया ता कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज़, जो हम अपने चारों तरफ़ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आर्यो का हिंदुस्तान में आना)
अब तक हमने बहुत ही पुराने ज़माने का हाल लिखा है। अब हम यह देखना चाहते हैं कि आदमी ने कैसे तरक़्क़ी की और क्या-क्या काम किए। उस पुराने ज़माने को इतिहास के पहले का ज़माना कहते हैं। क्योंकि उस ज़माने का हमारे पास कोई सच्चा इतिहास नहीं है। हमें बहुत कुछ
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आदमियों की क़ौमें और ज़बाने)
हम यह नहीं कह सकते कि दुनिया के किस हिस्से में पहले-पहिल आदमी पैदा हुए। न हमें यही मालूम है कि शुरू में वह कहाँ आबाद हुए। शायद आदमी एक ही वक़्त में, कुछ आगे पीछे दुनिया के कई हिस्सों में पैदा हुए। हाँ, इसमें ज़्यादा संदेह नहीं है कि ज्यों-ज्यों बर्फ़
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ)
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर बसर करता था, काम बँटे हुए न थे। हर-एक आदमी शिकार करता था और मुश्किल से खाने भर को पाता था। पहले मर्दों और औरतों के बीच में काम बँटना शुरू
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (तरह–तरह की क़ौमें क्योंकर बनीं)
अपने पिछले ख़त में मैंने नए पत्थर के युग के आदमियों का ज़िक्र किया था जो ख़ासकर झीलों के बीच में मकानों में रहते थे। उन लोगों ने बहुत सी बातों में बड़ी तरक़्क़ी कर ली थी। उन्होंने खेती करने का तरीक़ा निकाला। वे खाना पकाना जानते थे और यह भी जानते थे
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (सभ्यता क्या है?)
मैं आज तुम्हें पुराने ज़माने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है। कोष में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना। और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा)
पिछले ख़त में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने ज़माने में आदमी हर-एक चीज़ से डरता था और ख़याल करता था कि उसपर मुसीबतें लाने वाले देवता हैं जो क्रोधी हैं और हसद करते हैं। उसे ये फ़र्ज़ी देवता—जंगल, पहाड़, नदी, बादल—सभी जगह नज़र आते थे। देवता को वह दयालु और नेक
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जानदार चीज़ें कैसे पैदा हुई)
पिछले ख़त में मैं तुम्हें बतला चुका हूँ कि बहुत दिनों तक ज़मीन इतनी गर्म थी कि कोई जानदार चीज़ उस पर रह ही न सकती थी। तुम पूछोगी कि ज़मीन पर जानदार चीज़ों का आना कब शुरू हुआ और पहले कौन-कौन सी चीज़ें आईं। यह बड़े मज़े का सवाल है, पर इसका जवाब देना भी
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (शुरू के आदमी)
मैंने अपने पिछले ख़त में लिखा था कि आदमी और जानवर में सिर्फ़ अक़्ल का फ़र्क़ है। अक़्ल ने आदमी को उन बड़े-बड़े जानवरों से ज़्यादा चालाक और मज़बूत बना दिया जो मामूली तौर पर उसे नष्ट कर डालते। ज्यों-ज्यों आदमी की अक़्ल बढ़ती गई वह ज़्यादा बलवान होता गया। शुरू
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे)
आर्यों को हिंदुस्तान आए बहुत ज़माना हो गया। सब के सब तो एक साथ आए नहीं होंगे, उनके फ़ौजों पर फ़ौजें, जाति पर जाति और कुटुंब पर कुटुंब सैकड़ों बरस तक आते रहे होंगे। सोचो कि वे किस तरह लंबे क़ाफिलों में सफ़र करते हुए, गृहस्थी की सब चीज़ें गाड़ियों और जानवरों
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (जातियों का बनना)
मैंने अपने पिछले ख़तों में तुम्हें बतलाया है कि शुरू में जब आदमी पैदा हुआ तो वह बहुत कुछ जानवरों से मिलता था। धीरे-धीरे हज़ारों बरसों में उसने तरक़्क़ी की और पहले से ज़्यादा होशियार हो गया। पहले वह अकेले ही जानवरों का शिकार करता होगा, जैसे जंगली जानवर आज
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (रामायण और महाभारत)
वेदों के ज़माने के बाद काव्यों का ज़माना आया। इसका यह नाम इसलिए पड़ा कि इसी ज़माने में दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत, लिखे गए, जिनका हाल तुमने पढ़ा है। महाकाव्य उस पद्य की बड़ी पुस्तक को कहते हैं, जिसमें वीरों की कथा बयान की गई हो। काव्यों के ज़माने
जवाहरलाल नेहरू
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere