केश पर उद्धरण

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मेरे लेखन का कोई वाक्य ही कभी-कभार विचार को आगे की ओर बढ़ाता है; बाक़ी वाक्य तो नाई की क़ैंची के समान हैं जिसे वह लगातार इसलिए चलाता रहता है, जिससे सही क्षण पर वह बाल काट सके।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन
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एक दिन पके बालों वाली स्त्रियों की सेना चुपचाप पृथ्वी पर क़ब्ज़ा कर सकती है!

ग्लोरिया स्टाइनम
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अंग गल गए हैं, बाल सफ़ेद हो गए हैं, दाँत गिर गए हैं, काँपते हाथों में डंडा लिया हुआ है, फिर भी आशा मनुष्य का पिंड नहीं छोड़ती।

आदि शंकराचार्य
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दुष्ट लोग नख और केश के समान ही हैं। जिनके कट जाने पर व्यथा का लेश भी नहीं रहता, जबकि बढ़ने पर सभी दुःखी होते हैं। कौन स्वतंत्र व्यक्ति इनका परित्याग नहीं करते?

कवि कर्णपूर
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अवसर के देवता का मुख सन्मुख लटके केशों में छिपा रहता है। उसे पहचानना कठिन होता है परंतु उसे वश में किया जा सकता है तो केवल अग्र केशों को पकड़ कर। अवसर के सिर का पिछला भाग केशहीन है। सामने से निकल जाने पर उसे सभी पहचान लेते हैं परंतु गंजे सिर पर हाथ मारने से कुछ हाथ नहीं आता।

यशपाल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere