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अवधी पर कविताएँ

तुम भाड़ा दइ पइहौ

रफ़ीक़ शादानी

ओफ्ओह

रफ़ीक़ शादानी

कुपंथी औलाद

रफ़ीक़ शादानी

गोबर न पइहौ

रफ़ीक़ शादानी

पंडा अउर वकील

रफ़ीक़ शादानी

हमयँ अब देखात हय

रफ़ीक़ शादानी

बुरा मनिहयँ

रफ़ीक़ शादानी

चौबीस घंटा पहिले

रफ़ीक़ शादानी

बेचि लिहिन

रफ़ीक़ शादानी

उल्लू हौ

रफ़ीक़ शादानी

ए भइया

रफ़ीक़ शादानी

बादाम कहित हय

रफ़ीक़ शादानी

हमसे न कहा जाई

रफ़ीक़ शादानी

हलाल करौ माँ

रफ़ीक़ शादानी

चाहत नबी की हय

रफ़ीक़ शादानी

नवा साल आवा

रफ़ीक़ शादानी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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