
एकांत : रूप की प्यारी-सी अनुपस्थिति।

अगर तुम्हारे भीतर से एक आवाज़ आती है कि तुम चित्र नहीं बना सकते, तब किसी भी तरह से तुम्हें चित्र बनाने चाहिए; और फिर वह आवाज़ शांत हो जाएगी।


मौन भी बोलने का एक तरीक़ा है।

प्रतिक्षण अनुभव लेता हूँ कि मौन सर्वोत्तम भाषण है। अगर बोलना ही चाहिए तो कम से कम बोलो। एक शब्द से चले तो दो नहीं।

ऐसी घटना घटित हुई है जिस पर बोलना कठिन है और चुप रहना असंभव है।

आपसी व्यवहार में जैसे मौन भी बोलता है, वैसे ही भाषा में शब्द का अभाव भी बोलता है। दो या तीन नुक़्ते डालकर जाने हम कितना नहीं कह जाते।

मन की प्रसन्नता, सौम्यता, मौन, आत्म-निग्रह और भावशुद्धि को मानसिक तप कहा जाता है।


पढ़ना, मौन वार्तालाप के अतिरिक्त क्या है ?

मौन आनंद का पूर्ण अग्रदूत है। आनंदमय नहीं हूँ यदि मैं बता सकूँ कि कितना आनंदित हूँ।

मौन उसकी मातृ-भाषा हो गया है।


आवाज़ करने से आवाज़ नहीं मिटती है, चुप्पी से मिटती है।

मौन में ही जिसका ध्यान लग जाता है, उसे आसपास की गपशप नहीं सुनाई देती।

अपनी बात साबित करने के चक्कर में मत पड़िए। कई बार चुप रह जाना इससे कहीं ज़्यादा कारगार साबित हो जाता है।

दुष्ट लोग अपने दोष के संबंध में जन्मांध से होते हैं और दूसरे का दोष देखने में दिव्य नेत्र वाले होते हैं। वे अपने गुण का वर्णन करने में गला फाड़-फाड़कर बोलते हैं और दूसरे की स्तुति के समय मौन व्रत धारण कर लेते हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere