
एक बार जब बुराई व्यक्तिगत हो जाती है, रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाती है तो उसका विरोध करने का तरीक़ा भी व्यक्तिगत हो जाता है। आत्मा कैसे जीवित रहती है? यह आवश्यक प्रश्न है। और उत्तर यह है : प्रेम और कल्पना से।

जो लोग निर्णय लेते हैं उन्हें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

यह जगत का निजी अनुभव है कि आधी छटाँक-भर आचरण का जितना फल होता है उसका मन-भर भाषणों अथवा लेखों का नहीं होता।

व्यक्तिगत सुख विश्व वेदना में घुल कर जीवन को सार्थकता प्रदान करता है और व्यक्तिगत दुःख विश्व के सुख में घुल कर जीवन को अमरत्व।

अभिमान एक व्यक्तिगत गुण है, उसे समाज के भिन्न-भिन्न व्यवसायों के साथ जोड़ना ठीक नहीं।

ईर्ष्या व्यक्तिगत होती है और स्पर्द्धा वस्तुगत।

वैर का आधार व्यक्तिगत होता है, घृणा का सार्वजनिक।

निहायत वैयक्तिक प्रयोजन से ही पीड़ित रहने वाले की उदासी रचनात्मक ऊर्जा को निरंतर चबाती रहती है।

वैयक्तिकता ऐसी चीज़ है जो विभाज्य नहीं है, जिसे खंडित नहीं किया जा सकता।

व्यवसायी के नाते मैं जानता हूँ कि टेलीविज़न अब तक बने माध्यमों में सबसे समर्थ विज्ञापन-माध्यम है, और मैं अपनी अधिकांश जीविका इसी से अर्जित करता हूं। किंतु, व्यक्तिगत तौर पर यदि मुझे व्यापारिक व्यवधानों के बिना टेलीविज़न देखने का विशेषाधिकार मिले तो मैं उसके लिए प्रसन्नतापूर्वक धन दूँगा।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere