
एक बार जब बुराई व्यक्तिगत हो जाती है, रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाती है तो उसका विरोध करने का तरीक़ा भी व्यक्तिगत हो जाता है। आत्मा कैसे जीवित रहती है? यह आवश्यक प्रश्न है। और उत्तर यह है : प्रेम और कल्पना से।

जो लोग निर्णय लेते हैं उन्हें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए।

अभिमान एक व्यक्तिगत गुण है, उसे समाज के भिन्न-भिन्न व्यवसायों के साथ जोड़ना ठीक नहीं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere