पुरुष पर उद्धरण

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कर्तव्यनिष्ठ पुरुष कभी निराश नहीं होता।

सरदार वल्लभ भाई पटेल
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वह तो स्त्री है, पुरुष है और नपुंसक ही है। सत् है, असत् है और सदसत् उभयरूप ही है। ब्रह्मज्ञानी पुरुष ही उसका साक्षात्कार करते हैं। उसका कभी क्षय नहीं होता, इसलिए वह अविनाशी परब्रह्म परमात्मा अक्षर कहलाता है। यह समझ लो।

वेदव्यास