एक किसान अपना खेत जोत रहा था। अचानक कहीं से एक भालू आ गया। भालू किसान को मारने झपटा। किसान ने कहा, “मुझे क्यों मारते हो? उपज होने दो, जो कहोगे, वही खिलाऊँगा।” भालू ने कहा, “भूमि के ऊपर की उपज मेरी और नीचे की तुम्हारी रहेगी।” किसान ने आलू बो दिए।
एक किसान ने एक साधु की हत्या कर दी और जंगलों में भाग गया। वह भगोड़ा हो गया और उस पर इनाम घोषित कर दिया गया। जंगल में उसकी भेंट एक और भगोड़े से हुई जिस पर मछलियों का जाल चुराने का आरोप था। वह एक बाहरी टापू में रहने वाला मछुआरा था। वे दोनों साथी बन गए
एक सीधे-सादे किसान धन हाथ आते ही धर्म और कीर्ति की ओर झुकते हैं। धनिक समाज की भाँति वे पहले अपने भोग-विलास की ओर नहीं दौड़ते। सुजान की खेती में कई साल से कंचन बरस रहा था। मेहनत तो गाँव के सभी किसान करते थे, पर सुजान के चंद्रमा बली थे। ऊसर में भी दाना
यह बालोद का बुधवारी बाज़ार है। बालोद इस ज़िले की एक तहसील है। कुछ साल पहले तक यह सिर्फ़ एक छोटा-सा गाँव हुआ करता था। जहाँ किसान थे, उनके खेत थे, हल-बक्खर थे, उनके बरगद, नीम और पीपल थे। पर अब यह एक छोटा शहर की सारी ख़ूबियाँ लिए हुए। आसपास के गाँव-देहातों
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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