नृत्य पर उद्धरण

नृत्य को मानवीय अभिव्यक्तियों

का रसमय प्रदर्शन कहा गया है। भारतीय सांस्कृतिक अवधारणा में तो सृष्टि की रचना और संहार तक से नृत्य का योग किया गया है। प्रस्तुत चयन में नृत्य से अभिभूत कविताओं का संकलन किया गया है।

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अकारण और अंतहीन : संगीत, लय और नृत्य।

जूलिया क्रिस्तेवा
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जिस प्रकार नर्तकी रंगशाला के दर्शकों को नृत्य दिखाकर नृत्य से निवृत्त हो जाती है, उसी प्रकार प्रकृति भी पुरुष को आत्मा का साक्षात्कार कराके निवृत्त हो जाती है।

ईश्वर कृष्ण
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नृत्य एक क्षैतिज इच्छा की लंबवत अभिव्यक्ति है।

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ