देखभाल पर उद्धरण
देखभाल, सुरक्षा, परवाह,
या चिंता। यह शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति की भलाई के लिए ध्यान रखने या उसकी रक्षा करने के भाव को दर्शाता है। इसका उपयोग उस संवेदना और जिम्मेदारी को व्यक्त करने के लिए भी किया जाता है जो हम दूसरों के प्रति महसूस करते हैं।

प्यार—देखभाल, प्रतिबद्धता, ज्ञान, ज़िम्मेदारी, सम्मान और विश्वास का मेल है।

एकमात्र जीवन ही है जिसकी मुझे परवाह है—लिखना, कभी-कभार बाहर जाना और देखना और सुनना और उसके बाद वापस आकर फिर से लिखना। मैंने यही जीवन चुना है।


अगर कोई व्यक्ति आपकी बहुत प्रशंसा करता है, तो आप उससे घृणा करते हैं और आपको उसकी परवाह नहीं होती—और जो व्यक्ति आपकी ओर ध्यान नहीं देता, आप उसकी प्रशंसा करने के लिए तैयार रहते हैं।

जो व्यक्ति स्वयं अपने सम्मान का ख़्याल नहीं करता वह दास ही बन जाता है।


जो निष्काम कर्म की राह पर चलता है, उसे इसकी परवाह कब रहती है कि किसने उसका अहित साधन किया है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere