कृपाराम खिड़िया के उद्धरण

जिस गाँव में गुण-अवगुण को सुनने व समझने वाला कोई नहीं है और जहाँ अराजकता फैली हुई है, हे राजिया! वहाँ रहना कठिन है।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

मुख से मीठा बोलते हैं पर हृदय से बुराई करते रहते हैं। हे राजिया! ऐसे लोगों से कभी संपर्क नहीं रखना चाहिए।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया


कस्तूरी बहुत काली और करूप होती है पर काँटे पर तोली जाती है। परंतु हे राजिया! शक्कर बहुत सुंदर होने पर भी पत्थरों से तोली जाती है।
-
संबंधित विषय : नियति
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

गंभीर हाथी मदमस्त होकर अपनी मौज से चला जा रहा है। हे राजिया! कुत्ते क्यों रो-रोकर भौंकते है?
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया