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नीति पर सबद

नीति-विषयक दोहों और

अन्य काव्यरूपों का एक विशिष्ट चयन।

बिहंगम कौन दिसा उड़ि जइहो

दरिया (बिहार वाले)

दुनियाँ भरम भूल बौराई

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

तेरो कपरा नहीं अनाज

दरिया (बिहार वाले)

है बलवंती माया

हरिदास निरंजनी

काहे रे, बन खोजन जाई

गुरु तेग़ बहादुर

सभ कछु जीवत को बिउहार

गुरु तेग़ बहादुर

संतो कहा गृहस्त कहा त्यागी

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

गाफिल नींद न करिये रे

हरिदास निरंजनी

बिहंगम बोलु बचन बनबासी

दरिया (बिहार वाले)

बहुत पंसारी हाट में

दरिया (बिहार वाले)

रमईया तुम बिन रह्यो न जाइ

तुरसीदास निरंजनी

मन रे तूँ स्याणा नहीं

हरिदास निरंजनी

रे मन! ऐसो करि संन्यास

गुरु गोविंद सिंह

समझि देखि मन मेरा रे

हरिदास निरंजनी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere