नीति पर छप्पय

नीति-विषयक दोहों और

अन्य काव्यरूपों का एक विशिष्ट चयन।

को सिखवत कुलवधू

महापात्र नरहरि बंदीजन

ज्ञानवान हठ करै

महापात्र नरहरि बंदीजन

नारि सो धिकु जेहिं पुरुष न रम्में

महापात्र नरहरि बंदीजन

न कछु क्रिया बिन विप्र

महापात्र नरहरि बंदीजन

सर सर हंस न होत

महापात्र नरहरि बंदीजन

बैर धनी निरधनी

महापात्र नरहरि बंदीजन

कोप धरम धन दहै

बनारसीदास

घान यान मिष्ठान

बनारसी दास

शिथिल मूल दृढ़ करे

महापात्र नरहरि बंदीजन

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

संबंधित विषय