चाँदनी पर उद्धरण
चाँदनी चाँद की रोशनी
है जो उसके रूप-अर्थ का विस्तार करती हुई काव्य-अभिव्यक्ति में उतरती रही है।

पूर्णचंद्र के आलोक को परास्त कर पर्वत के ऊपर तारागण चमकते रहते हैं। उसका रूप देखने में ही तो आनंद है।

'चंद्रोदय देखकर' अहा कितना सुंदर है, ऐसा न कहने वाले लोग कम ही हैं, किंतु, उन सभी को चाँद की माधुरी नहीं मिल पाती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere