कृष्ण पर काव्य खंड

सगुण भक्ति काव्यधारा

में राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय संस्कृति की पूर्णता के आदर्श कृष्ण के बेहतरीन दोहों और कविताओं का संकलन किया गया है।

द्रौपदी-विनय

रामनाथ कविया

कृष्ण-जन्म

लाल कवि

उद्धव-शतक

जगन्नाथदास रत्नाकर

रण-निमंत्रण

मैथिलीशरण गुप्त

राधा-विनय

जगन्नाथदास रत्नाकर

श्री कृष्ण-दूतत्व

जगन्नाथदास रत्नाकर

भीष्म-प्रतिज्ञा

जगन्नाथदास रत्नाकर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere