कृष्ण पर कविताएँ

सगुण भक्ति काव्यधारा

में राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय संस्कृति की पूर्णता के आदर्श कृष्ण के बेहतरीन दोहों और कविताओं का संकलन किया गया है।

मेवाड़ में कृष्ण

पुरुषोत्तम अग्रवाल

केशों की कथा

मैथिलीशरण गुप्त

द्रौपदी-दुकूल

मैथिलीशरण गुप्त

राधा कहाँ है-2

सुगतकुमारी

राधा कहाँ है-4

सुगतकुमारी

राधा कहाँ है-5

सुगतकुमारी

राधा कहाँ है-1

सुगतकुमारी

न मेरे पास

पंकज चतुर्वेदी

मुरली ध्वनि

नोरि नरसिंह शास्त्री

कृष्ण-स्तुति

के. एल. व्यासराय शास्त्री

कान्ह की छवि

एम. पी. अप्पन

ओ री नील यमुना

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम

राधा कहाँ है-3

सुगतकुमारी

गीता-पाठ

विपुलज्योति शईकिया

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere