सैम्युअल टेलर कॉलरिज के उद्धरण

मुक्त वायु में सुप्त शिशिर अपने सस्मित अधरों पर वसंत का स्वप्न देखता है।

हे नारी! हमें वही मिलता है जो कुछ हम देते हैं और हमारे जीवन में ही प्रकृति वास करती है।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

कल्पना का विचार मैं प्राथमिक तथा परवर्ती के रूप में करता हूँ। प्राथमिक कल्पना को मैं समस्त मानवीय ज्ञान की जीवंत शक्ति और प्रमुख कारक, तथा अनंत 'अहम् अस्मि' में होने वाली शाश्वत सृजन-प्रक्रिया की शांत मन में आवृत्ति मानता हूँ। द्वितीयक कल्पना को मैं प्राथमिक कल्पना की प्रतिध्वनि मानता हूँ, जो चेतन संकल्प-शक्ति के साथ अस्तित्त्वशील है, और फिर भी प्राथमिक कल्पना से कारकता के प्रकार में तादात्म्यशील होती है, और केवल मात्रा में तथा क्रियाविधि में उससे भिन्न होती है। पुनः सृजन के निमित्त यह विघटित करती है, प्रसारित करती है तथा क्षय करती है; या जहाँ यह प्रक्रिया असंभव हो जाती है वहाँ भी यह प्रत्ययीकरण तथा एक करने के लिए संघर्ष को सदैव करती है। यह अनिवार्यतः सजीव होती है, वैसे ही जैसे सभी वस्तुएँ वस्तुओं के रूप में स्थिर और निर्जीव होती हैं।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया


भाषा मानव मस्तिष्क की वह शस्त्रशाला है जिसमें अतीत की सफलताओं के जयस्मारक और भावी सफलताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह साथ-साथ रहते हैं।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

ऐसा क्यों है और ऐसा क्यों नहीं—इसका कारण न बताने वाली बात स्थायी रूप से आनंद नहीं दे सकती।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

वही अच्छी प्रार्थना करता है जो महान् और क्षुद्र सभी जीवों से सर्वोत्तम प्रेम करता है, क्योंकि हमसे प्रेम करने वाले ईश्वर ने ही उन सब को बनाया है और वह उनसे प्रेम करता है।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

