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महावीर प्रसाद द्विवेदी

1864 - 1938 | रायबरेली, उत्तर प्रदेश

युगप्रवर्तक साहित्यकार-पत्रकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक के रूप में हिंदी नवजागरण में महत्त्वपूर्ण योगदान।

युगप्रवर्तक साहित्यकार-पत्रकार। ‘सरस्वती’ पत्रिका के संपादक के रूप में हिंदी नवजागरण में महत्त्वपूर्ण योगदान।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के उद्धरण

हे जगदीश्वर, इस संसार में काले से भी काले कर्म करके जो लोग ललाट पर चंदन का सफ़ेद लेप लीपते हैं, उनकी भी गणना जब हम बड़े-बड़े धार्मिकों में की गई सुनाते हैं, तब हमारे मुँह से हँसी निकल ही जाती है।

हे जगदीश, जो लोग कामिनी जनों की ओर घूरने ही के लिए देवालयों को सबेरे और सायंकाल जाते हैं, उन्हीं की सब कोई यदि प्रशंसा करे तो हाय! हाय! आस्तिकता अस्त हो गई समझनी चाहिए।

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