महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध
अलौकिक शिशु-गायक मास्टर मदन
जो लोग जन्म-परंपरा को नहीं मानते—जो लोग इस बात पर विश्वास नहीं करते कि पूर्व-जन्म के संस्कार बीज रूप से बने रहते हैं और समुचित उत्तेजना पाते ही फूलने और फलने लगते हैं—उन्हें मास्टर मदन को देखना चाहिए, उसका गाना सुनना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि इस शिशु
कवियों की उर्मिला-विषयक उदासीनता
कवि स्वभाव ही से उच्छृंखल होते हैं। वे जिस तरफ़ झुक गए। जी में आया तो राई का पर्वत कर दिया; जी में न आया तो हिमालय की तरफ़ भी आँख उठाकर न देखा। यह उच्छृंखलता या उदासीनता सर्वसाधारण कवियों में तो देखी ही जाती है, आदि कवि भी इससे नहीं बचे। क्रौंच पक्षी
कवि और कविता
यह बात सिद्ध समझी गई है कि कविता अभ्यास से नहीं आती। जिसमें कविता करने का स्वाभाविक माद्दा होता है वही कविता कर सकता है। देखा गया है कि जिस विषय पर बड़े-बड़े विद्वान अच्छी कविता नहीं कर सकते उसी पर अपढ़ और कम उम्र के लड़के कभी-कभी अच्छी कविता लिख
लेखकों से प्रार्थना
'सरस्वती' किसी व्यक्ति-विशेष या किसी एक समुदाय को प्रसन्न करने के लिए नहीं। उसके जितने ग्राहक हैं, यथाशक्ति सबको प्रसन्न रखने और सबको लाभ पहुँचाने के लिए वह प्रकाशित होती है। जिस लेख या कविता से इस उद्देश्य की सिद्धि हो सकती है उसी को सरस्वती में
भारतवर्ष में नशेबाज़ी
प्रजा को बुराइयों से बचाना और उसे सच्चरित्र बनाना राजा का बहुत बड़ा कर्तव्य है। हर देश का राजा अपने इस कर्तव्य-पालन के लिए उत्तरदाता है। राजा के इस काम से केवल प्रजा ही का उपकार नहीं, राजा का भी बड़ा भारी उपकार है। प्रजा के सच्चरित्र और गुणी होने से
संपादकों के लिए स्कूल
कुछ दिन हुए अख़बारों में यह चर्चा हुई थी कि अमेरिका में संपादकों के लिए स्कूल खुलने वाला है। इस स्कूल का बनना शुरू हो गया और इस वर्ष इसकी इमारत तो पूरी हो जाएगी। आशा है कि स्कूल इसी वर्ष ज़ारी भी हो जाए। अमेरिका के न्यू प्रांत में कोलंबिया नामक एक विश्वविद्यालय
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere