प्रेम पर कवितांश
प्रेम के बारे में जहाँ
यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।
प्रेम का स्पर्श एक लंबी नींद है
प्रेम के सारे आवेग असभ्य ही होते हैं
नींदों ने बहुत प्रेम छीने हैं
सभ्यताओं की घाटियों का पहला झूठ था प्रेम
स्त्रियाँ जो अपने पतियों से प्यार पाती हैं
वे कामानुभाव को,
बीजरहित फल के समान प्राप्त करती हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere