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प्रेम पर गीत

प्रेम के बारे में जहाँ

यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।

मुझे पुकार लो

हरिवंशराय बच्चन

जो तुम आ जाते एक बार

महादेवी वर्मा

निवेदन

जयशंकर प्रसाद

अब तुम्हारा प्यार भी

गोपालदास नीरज

एक पेड़ चाँदनी

देवेंद्र कुमार बंगाली

आया जिया को चैन

अन्नू रिज़वी

मन के पास रहो

रमानाथ अवस्थी

किसे भूल जाऊँ?

शंभुनाथ सिंह

तुम्हारे नील झील-से नैन

हरिवंशराय बच्चन

तुम से

नरेंद्र शर्मा

निभाना ही कठिन है

गोपालदास नीरज

रहना तू

प्रसून जोशी

प्यार का क्षण

रमानाथ अवस्थी

एक रोज़ अली निकली इकली

राधेश्याम कथावाचक

सत्य स्वप्न

शंभुनाथ सिंह

पुराने वे दिन...

श्यामबिहारी श्रीवास्तव

आज

शंभुनाथ सिंह

मधुमालती

नरेंद्र शर्मा

छवि-दर्शन

शंभुनाथ सिंह

स्वयं से दूर

शंभुनाथ सिंह

ओ युवाओं!

इति शिवहरे

प्रेम

गोपालशरण सिंह

पथ में

शंभुनाथ सिंह

प्रीति-धारा

शंभुनाथ सिंह

देखो न

प्रसून जोशी

पाथेय

शंभुनाथ सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere