व्याख्या करना पर उद्धरण

यह एकदम स्पष्ट है कि हम तथ्यों से नहीं, बल्कि तथ्यों की हमारी व्याख्या से प्रभावित होते हैं।

जिसका किसी भी तरह वर्णन किया जाना संभव नहीं है, जो कैसा है, यह जाना नहीं जा सकता, जिसका अस्तित्व नित्य ही रहता है, ऐसे उस परमात्मा को देखो।

ईश्वर की असंख्य व्याख्याएँ हैं, क्योंकि उसकी विभूतियाँ भी अगणित हैं।