ज्ञानेश्वर की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 3

नमक पानी की थाह लेने गया तो वह स्वयं ही नहीं रहा, फिर कितना गहरा पानी है, यह नाप कैसे लेगा?
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ज्ञानदेव कहते हैं- नामरूप रहित तेरा आत्मत्व सत्य है। इसी आत्मानंद-युक्त जीवन से सुखी हो जाओ।
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जिसका किसी भी तरह वर्णन किया जाना संभव नहीं है, जो कैसा है, यह जाना नहीं जा सकता, जिसका अस्तित्व नित्य ही रहता है, ऐसे उस परमात्मा को देखो।
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