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गोपालशरण सिंह

1891 - 1960 | मध्य प्रदेश

गोपालशरण सिंह के उद्धरण

निर्बलता आक्रमण का आमंत्रण है।

कविता की सप्राणता भावना में ही है। परंतु भावना के लिए बुद्धि का नियंत्रण आवश्यक है। अनियंत्रित भावना की परिणति सस्ती भावुकता होती है।

उसके स्वरूप की सुधा ही नेत्र-नीर है।

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