झील पर उद्धरण
कविताओं और गीतों में
प्रेमिकाओं की आँखों की गहराई को व्यक्त करने के लिए झील प्राय: आती रही है। इस आगमन से इतर भी कविता में यह बहुत बार सीधे उपस्थित रही है। यहाँ प्रस्तुत हैं—झील विषयक कुछ कविताएँ।

उसके स्वरूप की सुधा ही नेत्र-नीर है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere