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ऐनी एरनॉ

1940 | लिलबोन

आत्मकथात्मक और समाजशास्त्रीय लेखन के लिए प्रसिद्ध फ्रेंच लेखिका। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

आत्मकथात्मक और समाजशास्त्रीय लेखन के लिए प्रसिद्ध फ्रेंच लेखिका। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

ऐनी एरनॉ के उद्धरण

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मैंने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, मुझे उस स्वतंत्रता के बिना कष्ट हुआ; भले ही मैं एक प्रेमपूर्ण विवाह में थी।

मैंने जितनी भी मुश्किलें झेली हैं, वे मुझे एक भयानक दर्द के लिए तैयार करने की दिशा में केवल पूर्वाभ्यास थीं।

दर्द को बरक़रार नहीं रखा जा सकता है, इसे ‘विकसित करके’ हास्य में परिवर्तित करने की ज़रूरत है।

संभवतः मेरे जीवन का अस्ल मक़सद मेरे शरीर, मेरी संवेदनाओं और मेरे विचारों को लेखन बनाने के लिए हो, दूसरे शब्दों में : कुछ समझ में आने लायक़ और सार्वभौमिक हो, जिससे मेरा अस्तित्व अन्य लोगों के जीवन और मस्तिष्क में विलीन हो जाए।

कम सचाई जैसी कोई चीज़ नहीं है।

मैं जब लिखती हूँ, तब मुझे अपने अंदर देखने का आभास नहीं होता है; मैं एक स्मृति के अंदर देखती हूँ।

जीवित रहना बिना प्यास के पानी पीने के समान है।

एक स्त्री के रूप में मेरी पूरी कहानी : सीढ़ियों से नीचे उतरना और हर क़दम पर पीछे हटना है।

दुनिया को झपट्टा मार कर हमला करने और आनंद लेने के लिए बनाया गया है, और पीछे हटने के लिए कोई वजह नहीं है।

‘गॉन विद विंड’ ओडिपस कॉम्प्लेक्स की तरह ही निर्णायक है।

बूढ़ा होने का अर्थ फीका पड़ना है, पारदर्शी बनना है।

मैंने अपना साहित्यिक अस्तित्व ऐसे व्यक्ति जैसा बनाना शुरू कर दिया, जो इस तरह रहता है जैसे उसके अनुभव किसी दिन लिखे जाने थे।

उसे ऐसा लगता है, जैसे कोई किताब उसके पीछे ख़ुद को लिख रही हो; उसे बस इतना करना है कि ज़िंदा रहना है।

मुझे एहसास है कि मैंने अपना हिस्सा ऐसी जगह छोड़ दिया है, जहाँ मैं शायद कभी वापस नहीं जाऊँगी।

पर्व के समय मेज़ के आस-पास बातचीत में, हम पहले नाम के अलावा और कुछ नहीं होंगे; धीरे-धीरे हम पहचानहीन हो जाएँगे, जब तक कि हम सुदूर पीढ़ी की विशाल गुमनामी में ग़ायब नहीं हो जाते हैं।

कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि क्या मेरे लेखन का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या अन्य लोगों ने भी ऐसा ही किया है या महसूस किया है, या यदि नहीं; तो क्या उनके लिए ऐसी चीज़ों को अनुभव करना सामान्य है।

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