Font by Mehr Nastaliq Web

जैसा सवाल वैसा जवाब

jaisa saval vaisa javab

अज्ञात

अन्य

अन्य

अज्ञात

जैसा सवाल वैसा जवाब

अज्ञात

और अधिकअज्ञात

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा चौथी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    बादशाह अकबर अपने मंत्री बीरबल को बहुत पसंद करता था। बीरबल की बुद्धि के आगे बड़े-बड़ों की भी कुछ नहीं चल पाती थी। इसी कारण कुछ दरबारी बीरबल से जलते थे। वे बीरबल को मुसीबत में फँसाने के तरीक़े सोचते रहते थे।

    अकबर के एक ख़ास दरबारी ख़्वाजा सरा को अपनी विद्या और बुद्धि पर बहुत अभिमान था। बीरबल को तो वे अपने सामने निरा बालक और मूर्ख समझते थे। लेकिन अपने ही मानने से तो कुछ होता नहीं! दरबार में बीरबल की ही तूती बोलती और ख़्वाजा साहब की बात ऐसी लगती थी जैसे नक्कारख़ाने में तूती की आवाज़। ख़्वाजा साहब की चलती तो वे बीरबल को हिंदुस्तान से निकलवा देते लेकिन निकलवाते कैसे!

    एक दिन ख़्वाजा ने बीरबल को मूर्ख साबित करने के लिए बहुत सोच-विचार कर कुछ मुश्किल प्रश्न सोच लिए। उन्हें विश्वास था कि बादशाह के उन प्रश्नों को सुनकर बीरबल के छक्के छूट जाएँगे और वह लाख कोशिश करके भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाएगा। फिर बादशाह मान लेगा कि ख़्वाजा सरा के आगे बीरबल कुछ नहीं है।

    ख़्वाजा साहब अचकन-पगड़ी पहनकर दाढ़ी सहलाते हुए अकबर के पास पहुँचे और सिर झुकाकर बोले, “बीरबल बड़ा बुद्धिमान बनता है। आप भी उसकी लंबी-चौड़ी बातों के धोखे में जाते हैं। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे तीन सवालों के जवाब पूछकर उसके दिमाग़ की गहराई नाप लें। उस नकली अक़्ल-बहादुर की क़लई खुल जाएगी।”

    ख़्वाजा के अनुरोध करने पर अकबर ने बीरबल को बुलाया और उनसे कहा, “बीरबल! परम ज्ञानी ख़्वाजा साहब तुमसे तीन प्रश्न पूछना चाहते हैं। क्या तुम उनके उत्तर दे सकोगे?” बीरबल बोले, “जहाँपनाह! ज़रूर दूँगा। ख़ुशी से पूछें।”

    ख़्वाजा साहब ने अपने तीनों सवाल लिखकर बादशाह को दे दिए। अकबर ने बीरबल से ख़्वाजा का पहला प्रश्न कहाँ है?” पूछा, “संसार का केंद्र कहाँ है?”

    बीरबल ने तुरंत ज़मीन पर अपनी छड़ी गाड़कर उत्तर दिया, “यही स्थान चारों ओर से दुनिया के बीचों-बीच पड़ता है। यदि ख़्वाजा साहब को विश्वास हो तो वे फ्रीते से सारी दुनिया को नापकर दिखा दें कि मेरी बात गलत है।”

    अकबर ने दूसरा प्रश्न किया, “आकाश में कितने तारे हैं?”

    बीरबल ने एक भेड़ मँगवाकर कहा, “इस भेड़ के शरीर में जितने बाल हैं, उतने ही तारे आसमान में हैं। ख़्वाजा साहब को इसमें संदेह हो तो वे बालों को गिनकर तारों की संख्या से तुलना कर लें।” अब अकबर ने तीसरा सवाल किया, “संसार की आबादी कितनी है?”

    बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह! संसार की आबादी पल-पल पर घटती-बढ़ती रहती है क्योंकि हर पल लोगों का मरना जीना लगा ही रहता है। इसलिए यदि सभी लोगों को एक जगह इकट्ठा किया जाए तभी उनको गिनकर ठीक-ठीक संख्या बताई जा सकती है।”

    बादशाह तो बीरबल के उत्तरों से संतुष्ट हो गया लेकिन ख़्वाजा साहब नाक-भौंह सिकोड़कर बोले, “ऐसे गोलमोल जवाबों से काम नहीं चलेगा जनाब!”

    बीरबल बोले, “ऐसे सवालों के ऐसे ही जवाब होते हैं। पहले मेरे जवाबों को ग़लत साबित कीजिए, तब आगे बढ़िए।”

    ख़्वाजा साहब से फिर कुछ बोलते नहीं बना।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 6)
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए