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धूमिल के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण

धूमिल के प्रसिद्ध और

सर्वश्रेष्ठ उद्धरण

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कविता का एक मतलब यह भी है कि आप आज तक और अब तक कितना आदमी हो सके।

धूमिल

कविता आदमी को मार देती है। और जिसमें आदमी बच गया है, वह अच्छा कवि नहीं है।

धूमिल

कविता की असली शर्त आदमी होना है।

धूमिल

आधुनिकता वह है जिस पर अतीत अपना दावा कर सके।

धूमिल

कविता की कोई नैतिकता नहीं होती।

धूमिल

कहानी क्या कविता का शेषार्थ है?

धूमिल

कविता हिंसा की हिंसा करती है।

धूमिल

इस ज़माने में संबंध सिर्फ़ वे ही निभा सकते हैं जो मूर्ख हैं।

धूमिल

वीरता… बर्बरों की भाषा है।

धूमिल

कहीं भी आग लगना बुरा है, मगर यह उत्साह पैदा करता है। आग आदमी को आवाज़ देकर सामने कर देती है।

धूमिल

कविता अश्लील नहीं होती।

धूमिल

अंधे आदमी की आँख उसके पैर में होती है।

धूमिल

किसी लेखक की किताब उसके लिए एक ऐसी सुरंग है जिसका एक सिरा रचना की लहलहाती फूलों भरी घाटी में खुलता है, बशर्ते कि वह (लेखक) उससे (सुरंग के अंधकार से) उबरकर बाहर सके।

धूमिल

ठाठ, बाट और टाट ये तीनों कविता के दुश्मन हैं।

धूमिल

कविता किसी से सहानुभूति नहीं माँगती।

धूमिल

ममता, अक्सर, दरिद्रता की पूरक होती है।

धूमिल

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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