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करुनामय हरि करुना करिये

karunamay hari karuna kariye

भीखा साहब

अन्य

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भीखा साहब

करुनामय हरि करुना करिये

भीखा साहब

और अधिकभीखा साहब

    करुनामय हरि करुना करिये,

    कृपा कटाच्दछ ढरन ढरिये।

    भक्तन के प्रतिपाल करन को,

    चरन कँवल हिरदै धरिये।

    ब्यापक पूरन जहाँ तहाँ लगु,

    रीतो ने कहूँ भरन भरिये॥

    अब की बार सवाल राखिये,

    नाम सदा इक फर फरिये।

    जन भीखा के दाता सतगुरु,

    नूर जहूर बरन बरिये॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : भीखा साहब की बानी (पृष्ठ 26)
    • रचनाकार : भीखा साहब
    • प्रकाशन : बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1919

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