Font by Mehr Nastaliq Web

गुरु पर सबद

मध्यकालीन काव्य में

गुरु की महिमा की समृद्ध चर्चा मिलती है। प्रस्तुत संचयन में गुरु-संबंधी काव्य-रूपों और आधुनिक संदर्भ में शिक्षक-संबंधी कविताओं का संग्रह किया गया है।

कतिक करम कमावणे

गुरु अर्जुनदेव

बारहमासा

तुलसी साहब

हम घरि साजन आए

गुरु नानक

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

जग में संत भये कैसे भारी

दरिया (बिहार वाले)

धनि-धनि पीव की राजधानी हो

तुरसीदास निरंजनी

चूनर मेरी मैली भई

संत शिवदयाल सिंह

प्रेमी सुनो प्रेम की बात

संत शिवदयाल सिंह

घर आग लगावे सखी

संत शिवदयाल सिंह

रे नर ऐसा गुरु ना कीजै

दरिया (बिहार वाले)

साधो धोखे सब जग मारा

दरिया (बिहार वाले)

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए