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ज्ञानराज माणिकप्रभु

1958 | हरिहर, कर्नाटक

सम्मानित कवि और आध्यात्मिक व्यक्तित्व। हिंदी, मराठी एवं उर्दू में विपुल काव्य-रचना। कविता-संग्रह ‘ज्ञानलहरी’ की दो आवृत्तियाँ प्रकाशित।

सम्मानित कवि और आध्यात्मिक व्यक्तित्व। हिंदी, मराठी एवं उर्दू में विपुल काव्य-रचना। कविता-संग्रह ‘ज्ञानलहरी’ की दो आवृत्तियाँ प्रकाशित।

ज्ञानराज माणिकप्रभु की कविताएँ

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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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