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गीत नहीं मर सकते...

geet nahin mar sakte. . .

ज्ञानराज माणिकप्रभु

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ज्ञानराज माणिकप्रभु

गीत नहीं मर सकते...

ज्ञानराज माणिकप्रभु

और अधिकज्ञानराज माणिकप्रभु

    गीत नहीं मर सकते।

    मेरे गीत नहीं मर सकते॥

    डाल अग्नि में इन्हें जला दो।

    अथवा जल में डाल बहा दो।

    कुछ भी कर लो किंतु भाव को

    नष्ट नहीं कर सकते॥

    गीत नहीं मर सकते॥

    आत्म महोदधि के मंथन को।

    सच्चित्सुख प्रभु के चिंतन को।

    सुर-नर-असुर सभी मिलकर भी

    कभी नहीं हर सकते॥

    गीत नहीं मर सकते।

    इनमें है उस प्रभु का वर्णन।

    जो शाश्वत अक्षय औ' चिद्धन।

    शब्द अगर खो जाएँ तो भी

    पुनः उन्हें वर सकते॥

    गीत नहीं मर सकते॥

    देह अशाश्वत रहे ना रहे।

    प्राण कदाचित रहें ना रहें।

    रहे ना रहे 'ज्ञान'—गीत ये

    गा उसको स्मर सकते।

    गीत नहीं मर सकते।

    स्रोत :
    • रचनाकार : ज्ञानराज माणिकप्रभु
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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