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तुम्हारे हाथ और असत्य

tumhare haath aur asatya

नाज़िम हिकमत

नाज़िम हिकमत

तुम्हारे हाथ और असत्य

नाज़िम हिकमत

और अधिकनाज़िम हिकमत

    तुम्हारे हाथ—

    चट्टानों की तरह संजीदा

    जेल में गाए जाने वाले गीतों की तरह उदास

    जुते हुए बैलों की चाल की तरह भारी

    भूखे मरते हुए बच्चों के चेहरे की तरह भयानक

    तुम्हारे हाथ—

    श्रम में मधु-मक्खियों की तरह चुस्त और सक्रिय

    माँ के पयोधरों की तरह भरे पुरे,

    प्रकृति की भाँति निर्भय और निर्बाध

    खुरदुरी खाल के नीचे

    मैत्री का स्नेह भरा स्पर्श छिपाए हुए

    यह ग़लत है कि धरती को

    शेषनाग ने अपने माथे पर धारण कर रखा है

    धरती यह समूची धरती

    तुम्हारे इन्हीं हाथों पर टिकी हुई है।

    तमाम दुनिया के लोग!

    जब तुम भूख से व्याकुल रहते हो

    और तुम्हें रोटी की ज़रूरत होती है

    तब वे तुम्हें खिलाने के लिए

    अगणित असत्यों की फ़सल तैयार करते हैं

    और तुम तमाम ज़िंदगी

    एक बार साफ़ थाली में भरपेट खाने के लिए

    तरसते-तरसते दम तोड़ देते हो

    जब कि दुनिया भर में शाखें पके हुए फलों के बोझ से

    झुकी पड़ती हैं।

    तमाम दुनिया के लोगो!

    सबसे बढ़कर

    एशिया

    अफ़्रीका

    मध्य पूर्व

    सुदूर पूर्व

    प्रशांत द्वीप समूह

    और मेरे देश के लोगो

    यानी तुम जो तमाम इंसानी आबादी के

    सत्तर प्रतिशत से अधिक हो

    तुम अब भी सोए हुए हो

    तुम अपने हाथों की तरह पुराने हो

    तुम बच्चों की तरह

    ख़ुश हो संतुष्ट हो

    तुम अपने जवान हाथों की तरह अनुभव शून्य हो!

    और योरोप और अमेरिका के लोगो

    तुम सचेत हो, तुममें साहस है

    पर तुम इन्हीं हाथों की तरह चिंतनशून्य हो

    असत्य तुम्हारे हृदयों पर विजय पा लेता है

    और तुम उसके जाल में उलझ जाते हो।

    साथियो!

    अगर यह असत्य रेडियो से बोला जाता है

    अगर यह असत्य रोटरी मशीनों पर छापा जाता है

    अगर यह असत्य किताबों में लिखा जाता है

    दीवारों और खंभों पर चिपके नोटिसों और इश्तहारों पर

    अंकित किया जाता है

    अगर यह असत्य चित्रपट पर नंगी टाँगों के

    रूप में दिखाया जाता है

    अगर रूमानी गीतों में यह असत्य गूँथा जाता है

    अगर सपने भी इसी असत्य में रँगे होते हैं

    बाँसुरियों में भी यही असत्य सिसकता है

    निराशा भरी विरह की चाँदनी रातों में यह

    असत्य झिलमिलाता है।

    अगर शब्द, रंग, ध्वनि

    सभी इसी असत्य के वाहन हैं

    तुम्हारे हाथों को ख़रीदने वाला भी

    इसी असत्य का ठेकेदार है

    अगर तुम्हारे हाथ के अलावा

    दुनिया की हर छोटी बड़ी चीज़

    इसी असत्य के स्वर में बोलती है

    तो इसका एक मात्र कारण यह है

    कि वे चाहते हैं

    कि ये तुम्हारे अपराजेय हाथ

    कठपुतलियों की तरह

    उनके संकेतों पर नाचें

    उन्हें कोई भी दृष्टि मिले

    उन्हें कोई ज्ञान मिले

    ताकि तुम्हारे हाथ कभी भी उनके ख़िलाफ़ उठें

    ताकि अन्याय का कभी अंत हो

    ताकि ग़ुलामफ़रोशों का शासन

    इस धरती पर सदैव बना रहे—

    यह धरती

    जो हम सबों की माता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 237)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : नाज़िम हिकमत
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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