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उसने उससे कहा

usne usse kaha

महमूद दरवेश

अन्य

अन्य

महमूद दरवेश

उसने उससे कहा

महमूद दरवेश

और अधिकमहमूद दरवेश

    “रात हमारी हसरतों की तारीख़ है और तुम हमारी रात हो

    तुमने कहा और मुझे छोड़ गई

    तुम छोड़ गईं मेरे क़रीब मेरी रात और अपनी, और दोनों

    बेहद सर्द

    अब ठंड से और तुम्हारी यादों से मैं ज़ख़्मी होऊँगा

    और तुम ज़ख़्मी होगी हवा में घुली

    मेरे लिली-फूलों की ख़ुशबू से

    बेहद बुरी !

    मैं मुहब्बत करने लगूँगा उस पहले गुज़रने वाले से

    जो ज़ार-ज़ार रो रहा है उस औरत को लेकर

    जो उसे छोड़ गई, जैसे तुम मुझे

    हम (वो अजनबी और मैं) अपनी रात की ज़रूरतों का

    ख़याल रखेंगे और उसे रौशन करेंगे

    हम अपनी अदना बुलंदी को सँवारेंगे

    हम (वो अजनबी और मैं) अपने बिस्तर चुनेंगे

    और जज़्बात का ख़याल रखेंगे

    हम (वो अजनबी और मैं) शायद साथ-साथ गाएँगे

    वो इश्क़िया नग़मा, जो बतौर तोहफ़ा

    तुमने मुझे दिया था :

    रात हमारी हसरतों की तारीख़ है और तुम हमारी रात हो

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 343)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक सुरेश सलिल, कैथराइन कोहैम
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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