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प्रेम पर कविताएँ

प्रेम के बारे में जहाँ

यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।

तुम्हारे साथ रहकर

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

प्रेमपत्र

बद्री नारायण

चोरी

गीत चतुर्वेदी

कितना अच्छा होता है

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

प्रेमिकाएँ

अखिलेश सिंह

इक आग का दरिया है...

रमाशंकर यादव विद्रोही

प्रेम की गालियाँ

बाबुषा कोहली

इतना कुछ था

कुँवर नारायण

मुलाक़ातें

आलोकधन्वा

एक और ढंग

श्रीकांत वर्मा

प्रेम लौटता है

गौरव गुप्ता

सुनो चारुशीला

नरेश सक्सेना

तुमसे अलग होकर

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

तुम आईं

केदारनाथ सिंह

प्रेम की जगह अनिश्चित है

विनोद कुमार शुक्ल

देना

नवीन सागर

गुनाह का दूसरा गीत

धर्मवीर भारती

प्रेम कविता

गीत चतुर्वेदी

ट्राम में एक याद

ज्ञानेंद्रपति

इंतज़ार तुम्हारा

अंजुम शर्मा

उदास लड़के

घुँघरू परमार

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

या

सौरभ अनंत

टूटी हुई, बिखरी हुई

शमशेर बहादुर सिंह

प्रेम करती स्त्री

मंगलेश डबराल

किताबें

गौरव गुप्ता

प्रेम के आस-पास

अमर दलपुरा

साथी

अंकिता शाम्भवी

तुम्हारे लिए

अष्टभुजा शुक्‍ल

छूना मत

सविता भार्गव

पंजे भर ज़मीन

पराग पावन

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere