प्रेमिकाएँ

premikayen

अखिलेश सिंह

अखिलेश सिंह

प्रेमिकाएँ

अखिलेश सिंह

प्रेमिकाएँ तकलीफ़देह थीं। जब-जब उन्हें मजबूरन छोड़कर जाना पड़ा, तब-तब वे सिर्फ़ मजबूर लगीं। जब-जब उन्होंने आँखों के सामने ही दूसरा पुरुष चुन लिया, तब-तब वे सिर्फ़ नीच लगीं। और जब-जब हमेशा के लिए साथ रह गईं तो सिर्फ़ प्रेमिका नहीं रह गईं। पीड़ा और रिक्तता हर हाल में मिली। इस ‘सिर्फ़’ सोच के चलते किसी प्रेमिका को मज़बूत मानकर मुनादी पीटना क़ायदे से मुश्किल है।

लड़कियाँ जो दोस्त थीं, उनसे कभी कुछ मिलता नहीं था। वे लंबी ताक के बावजूद तैयार नहीं मिलीं। जो तैयार हो भी गईं; वे भी आँसू, बेचारगी और पलायन के दुविधा-लेप से लेपित थीं। कुछ तो आगे दोस्ती ही नहीं रख पाईं।

कुछ लड़कियाँ ऐसी भी थीं जिन्होंने व्यवस्था की सख़्त गुंजाइशों में अपनी नरम देह और शापित बुद्धि को सामाग्रियों की तरह व्यवस्थित किया। वे व्यवस्था के उपकरणों की तरह ही हिंसक मिलीं। ऐसे उपकरणों से हमेशा वितृष्णा हुई।

पत्नियाँ अपने होने की छाया भर थीं। उनको हर वक़्त ओझाई की ज़रूरत थी। वे या तो अभुआती थीं या तो अगरबत्ती की तरह जल जाती थीं। वे सुविधापूर्ण तरीक़े से स्तुत्य और हीन दोनों थीं।

माँएँ पोषक थीं। वे हमेशा पोषक लगीं। वे कमज़ोर हैं या मज़बूत, यह समझ के परे था; क्योंकि उनके पास पोषित करने के लिए हमेशा कुछ था। माँओं ने बच्चों को बेहतर बनाने की कोशिश की। वे सूखी लकड़ी की तरह जलीं। कुछ माँएँ पूर्ण शिकस्त थीं। उन्होंने बच्चों को शिकारी की चाल सिखाई।

बहनें जो छोटी थीं, हमेशा छोटी रहीं और जो बड़ी थीं, वे बड़ी रहीं हमेशा। बहनों के बराबर होने के लिए कुछ समय तक झुकना पड़ता। झुकना असह्य था।

सब बराबर होने की राह में रीढ़ की कई पीढ़ी के अकड़न का रोग खड़ा था।

अंततः नायिकाएँ मिलीं। देश-काल की अगम्य दूरी के चलते वे नायिकाएँ मानी गईं। वे प्रतिमानों में स्थापित हुईं। उनके सिक्के चले। उनके क़िस्से मिले।

मैं शब्दकार था, मैंने मुक्त कंठ से उनकी स्तुतियाँ पढ़ीं।

मैं चित्रकार था मैंने प्रतिबद्ध होकर उनके चित्र बनाए।

स्रोत :
  • रचनाकार : अखिलेश सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY