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ईश्वर बाबू

ishwar babu

स्वप्निल श्रीवास्तव

अन्य

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और अधिकस्वप्निल श्रीवास्तव

    रोचक तथ्य

    इस कविता के लिए कवि को भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त हुआ।

    यहीं कहीं रहते हैं ईश्वर बाबू

    इसी घर के आस-पास

    सड़क के क़रीब

    सड़क और ज़िंदगी के शोर में

    बराबर चौकन्ने

    यहीं

    इसी सड़क पर बचाया था उन्होंने

    उस आदमी को

    जिसे ग़ुंडे छुरा घोंपकर

    मार डालना चाहते थे उस रात

    आदमी बच गया

    लेकिन दूसरे दिन

    शहर के सीमांत पर

    पाई गई लाश ईश्वर बाबू की

    इस तरह उस दिन

    एक अच्छे नागरिक का फ़र्ज़

    पूरा किया ईश्वर बाबू ने

    एक अच्छी सरकार का फ़र्ज़

    पूरा किया सरकार ने

    उनके परिवार को

    उनकी मृत्यु का उचित मुआवज़ा देकर

    नहीं,

    ईश्वर नहीं मरा था

    मर गए ईश्वर बाबू

    इसलिए कोई हंगामा नहीं हुआ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : उर्वर प्रदेश (पृष्ठ 79)
    • संपादक : अन्विता अब्बी
    • रचनाकार : स्वप्निल श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2010

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