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दिल्ली में आपातकाल

dilli mein apatakal

शशिभूषण

अन्य

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शशिभूषण

दिल्ली में आपातकाल

शशिभूषण

और अधिकशशिभूषण

    फिर एक दिन वह हुआ

    जो किसी ने नहीं सोचा था

    दिल्ली में हवा इतनी ज़हरीली हो गई

    कि साँस लेने वाली हवा के विषय में

    जिसे प्राणवायु कहा जाता है

    आपातकाल लागू हुआ।

    बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए

    'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम में

    देश भर से दिल्ली पहुँचे बच्चों से

    कहा गया—मास्क पहन कर रखें अवश्य

    एयर प्यूरीफ़ायर लगे वातानुकूलित तंबुओं से बाहर निकलें।

    दिल्ली भारत की राजधानी

    जिसने देश भर की स्वच्छता का महान सपना देखा था

    सभी संचार माध्यमों में पूर्णतः प्रतिबद्ध दिखती थी

    कैसा विद्रूप था कैसी भीषण त्रासदी

    कि उसी दिल्ली के पास अपनी गोद के

    बच्चों के लिए साँस लेने को हवा तक नहीं थी शुद्ध

    'एक दिन यह तो होना ही था'

    'नहीं आने वाले यों कभी अच्छे दिन'

    कहने-सुनने वाले भी सन्न थे

    किंकर्तव्यविमूढ़, ग्लानि से भरे हुए

    इस महा संकट के पीछे

    ख़ुद कुछ कर पाने के साथ-साथ

    शुभ-शुभ बोल तक पाने का भी

    हाथ तो नहीं कहीं!

    घुट रही थी दिल्ली

    मर रहे थे पशु पक्षी पेड़ नदियाँ तालाब

    आते जा रहे थे चुनाव पर चुनाव।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शशिभूषण
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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