दिल्ली पर कविताएँ

भारत की राजधानी के रूप

में दिल्ली कविता-प्रसंगों में अपनी उपस्थिति जताती रही है। ‘हुनूज़ दिल्ली दूर अस्त’ के मेटाफ़र के साथ ही देश, सत्ता, राजनीति, महानगरीय संस्कृति, प्रवास संकट जैसे विभिन्न संदर्भों में दिल्ली को एक रूपक और प्रतीक के रूप में बरता गया है। प्रस्तुत चयन दिल्ली के बहाने कही गई कविताओं से किया गया है।

महानगर में प्यार की जगह

घनश्याम कुमार देवांश

दिल्ली

रामधारी सिंह दिनकर

सीलमपुर की लड़कियाँ

आर. चेतनक्रांति

कवियों की कहानी

कृष्ण कल्पित

मेट्रो से दुनिया

निखिल आनंद गिरि

दिल्ली के कवि

कृष्ण कल्पित

मेरी दिल्ली

इब्बार रब्बी

अकाल

केशव तिवारी

दिल्ली की तरफ़

कुँवर नारायण

सीलमपुर के लड़के

आर. चेतनक्रांति

शैतान

अमिताभ

कनॉट प्लेस

जगदीश चतुर्वेदी

दिल्ली : दो

मंगलेश डबराल

दिल्ली की बसों में

इब्बार रब्बी

पहाड़गंज

नवीन रांगियाल

दिल्ली

मंगलेश डबराल

राजधानी

कैलाश वाजपेयी

ब्लू लाइन

देवी प्रसाद मिश्र

दिल्ली में ग्रीष्म

के. सच्चिदानंदन

कनॉट प्लेस

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

दिल्ली 2018

गिरिराज किराडू

दिल्ली और दलदल

ओम् प्रकाश आदित्य

खोई दिल्ली

सौरभ अनंत

दिल्ली के कवि

बहादुर पटेल

दिल्ली 2017

गिरिराज किराडू

दिल्ली 2020

गिरिराज किराडू

जीवन

हरे प्रकाश उपाध्याय

दिल्ली

सवाई सिंह शेखावत

दिल्ली दंगा

मीना प्रजापति

तीन आदमी

कमल जीत चौधरी

लापता गधा

ओम् प्रकाश आदित्य

दिल्ली

राहुल देहलवी

दिल्ली

विनोद दास

दिल्ली

प्रयाग शुक्ल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere