Font by Mehr Nastaliq Web

रहमान का स्वगत कथन

rahman ka swagat kathan

अनुवाद : तुषार धवल

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

अन्य

अन्य

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

रहमान का स्वगत कथन

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

    पैग़म्बर एक है जैसे अल्लाह भी

    रेगिस्तान में हृदय जितना ओएसिस

    हाथों तले हरियाली

    वरदहस्त और मस्तक

    अस्तित्व जहन्नुम से जन्नत तक

    एक ही नियम का इन्द्रधनुष

    आदमी मूलतः काफिर है

    बुतखाना है जिसका बोध

    मेरे अंधेपन में है

    परवरदिगार और काबा

    इतना सा विरह तुमसे सहा नहीं जाता

    और दोस्त, तुम्हारा नाम है इरशाद

    तुम्हारी प्रेमिका का नाम सलमा

    और गाँव का मोहब्बत?

    याSल्ला! परवरदिगार!

    मैं तो अंधा हूँ

    सिर्फ़ तुम्हें देखने वाला

    और इन आँख वालों की आँखें

    एक-दूसरे में ही खो गयी हैं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड दो (पृष्ठ 33)
    • रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए