चौथा शेर

chautha sher

उदय प्रकाश

उदय प्रकाश

चौथा शेर

उदय प्रकाश

अशोक स्तंभ का

चौथा शेर कहाँ हैं?

पूछा राजपथ पर खड़ी

भीड़ ने—

इधर से देखो तो तीन दिखते हैं—

पश्चिम की भीड़ ने कहा।

इधर से देखो

तीन ही दिखते हैं—

पूर्व के जनसमूह ने कहा।

इधर से भी तीन—

दक्षिण से आवाज़ उठी,

और इधर भी—

उत्तर गूँजा।

तो, चौथा शेर कहाँ है?

राजपथ पर

एक इतिहास-दिवस पर

इकट्ठा हुई भीड़

पूछ रही थी बार-बार।

पहली बार पूछा गया था

यह सवाल राजपथ पर

एकत्र हुई भीड़ द्वारा।

वहाँ हवा रुक गई थी,

सूरज की पहिया

थम गया था,

पेड़ सुन्न खड़े थे

सड़क के अगल-बग़ल

और आकाश में

रहस्य की तरह यह सवाल

टँगा था।

भीड़ के बीच एक आदमी, जो चुप था बड़ी देर से

धीरे−धीरे आगे बढ़ा

वह अशोक स्तंभ के नीचे वाले

सफ़ेद चबूतरे पर

खड़ा हो गया था।

'देखो आज का अख़बार

देखो इसमें छपी हुई ख़बरें

कल कहाँ-कहाँ

क्या-क्या घटा

जानने की कोशिश करो।'

अख़बार में

काले अक्षरों में छपी

ख़ौफ़नाक ख़बरें थीं

भरी पड़ी थीं ऐसी ख़बरें

जिनमें मौत की

विषाक्त साँसें थीं

रुदन थे सदियों पुराने

बीस मारे गए कर्नाटक में

बिहार में तीस,

बंगाल में चालीस, पंजाब में

पचास

लोग मरे

लोग लापता हुए

लोगों ने आत्महत्याएँ कीं, लोग निकाले गए,

लोट छाँटे गए,

लोगों ने सब कुछ गँवाया

कुछ डूबे,

कुछ औरतें गुम हुईं,

कुछ बच्चे बाहर खेलते

ग़ायब हुए सदा के लिए।

चबूतरे पर खड़े

आदमी ने पूछा

राजपथ पर

उस ऐतिहासिक दिवस पर

एकत्र हुई भीड़ से सवाल—

‘क्या अब भी

बचा है जानना बाक़ी

कि आख़िर कहाँ-कहाँ

रहा है कल

अशोक स्तंभ का

चौथा शेर?'

देखो आज की तारीख़ का

ताज़ा अख़बार

फ़िक्र करो

कल कहाँ जाएगा?

पता लगाओ

आज कहाँ

मौजूद है

अशोक स्तंभ का

कभी दिखाई पड़ने वाला

चौथा शेर?

स्रोत :
  • पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 65)
  • रचनाकार : उदय प्रकाश
  • प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन
  • संस्करण : 2008

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